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एकीकृत बाल विकास सेवाएं (आईसीडीएस)

राज्य सरकार महिलाओं एवं बच्चों के विकास के लिए दृढ़ संकल्पित है। उनके कल्याण के लिए महिला एवं बाल विकास, विभाग द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं तथा बालिका उत्थान पर विशेष बल दिया जा रहा है।

महिलाओं से सम्बन्धित योजनाएं

घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियमः-

घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम एवं बाल विवाह प्रतिशेध अधिनियम के अनुसार राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक जिला स्तर पर संरक्षण-सह-बाल विवाह निषेध अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। पीड़ित व्यक्तियों को आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए हरियणा समाज कल्याण बोर्ड, जिला रैड क्राँस समितियों, जिला बाल कल्याण परिषदों आदि 24 सेवा-प्रदाता कार्यरत हैं तथा प्रत्येक जिले में महिलाओं व बच्चों के लिए विशेष कक्ष भी स्थापित किए गए हैं।

तेजाब से पीड़ित महिलाओं के लिए राहत व पुनर्वास योजनाः-

हरियाणा सरकार द्वारा तेजाब से पीड़ित महिलाओं के लिए राहत व पुर्नवास योजना चलाई जा रही है। जिसके अनुसार तेजाब पीड़िता को 3.00 लाख रु0 की राशि का मुआवज़ा दिया जाता है। जिसमें शरीर के किसी अंग का खत्म होना या प्लास्टिक सर्जरी का इलाज शामिल है। उपरोक्त 3.00 लाख रु0 की राशि में से 1.00 लाख रुपये की राशि पीड़ित को 15 दिल के अन्दर-अन्दर तदर्थ सहायता के रुप में प्रदान की जाती है तथा शेष 2.00 लाख रु0 की राशि 2 मास के अन्दर दे दी जाती है। यदि पीड़ित शरीर का किसी अंग का खत्म या प्लास्टिक सर्जरी नही हुई है उस स्थिति में 50000 रु0 का मुआवज़ा दिया जाता है। पीड़ित महिला की मृत्यु हो जाने पर 5.00 लाख रु0 मृतक के कानूनी उत्तराधिकारी को दी जाती है। तेजाब से पीड़ित महिलाओं को राहत व पुर्नवास हेतु राज्य स्तर तथा जिला स्तर पर कमेटी का गठन भी किया गया है।

राज्य मिशन अथोरिटी की स्थापना

हरियाणा सरकार द्वारा महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक साशक्तिकरण के उद्देश्य से माननीय मुख्य मंत्री की अध्यक्षता में राज्य मिशन का गठन किया गया है। मिशन द्वारा मंत्रालयों/विभागों की जैण्डर बजटिंग तथा महिलाओं से सम्बन्धित विभिन्न कानूनों को प्रभावी रुप से लागू करने के कार्य का मूल्यांकन व समीक्षा की जाती है। महिलाओं के सशक्तिकरण से सम्बन्धित योजनाओं/कार्यक्रमों को प्रभावी रुप से लागू करने के लिए मुख्यालय पर राज्य संसाधन केन्द्र भी कार्यरत हैं।

शिक्षा ऋण योजनाः-

राज्य सरकार द्वारा लड़कियों/महिलाओं के लिए आसान शिक्षा ऋण योजना हरियाणा महिला विकास निगम के माध्यम से चलाई जा रही है, जिसके अन्तर्गत लड़कियों/महिलाओं को देश/विदेश में उच्च शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए शिक्षा ऋण पर ब्याज सबसिडी 5 प्रतिशत वार्षिक प्रदान की जाती है।

इन्दिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजनाः-

यह परियोजना पंचकूला जिले में पायलट परियोजना के रुप में चलाई जा रही है। जिसके अन्तर्गत गर्भवती एवं दूध पिलाने वाली माताओं को लाभ प्रदान किया जाता है। इस योजना के अन्तर्गत गर्भवती व दूध पिलाने वाली माताओं को 6000/-रुपये की राशि दो किस्तों में दी जाती है।

ग्रामीण महिलाओं के लिए खेल प्रतियोगिताः-

ग्रामीण महिलाओं को खेल एवं मनोरंजनके अवसर प्रदान करने के लिए खण्ड स्तर, जिला स्तर तथा राज्य स्तर पर ग्रामीण महिला खेल प्रतियोगिता योजना चलाई जा रही है खण्ड 500/-रुपये, 300/-रुपये व 200/-रुपये वाली तीन विजेताओं को क्रमशः 500/-रुपये, 300/-रुपये व 200/-रुपये व जिले स्तर पर प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय स्थान प्राप्त करने वाली महिलाओं को 1000/-रुपये, 750/-रुपये तथा 500/-रुपये के तीन पुरस्कार दिये जाते हैं। राज्य स्तर पर प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय स्थान प्राप्त करने पर 3100/-रुपये, 2100/-रुपये तथा 1100/-रुपये के ईनाम दिए जाते हैं। वार्षिक खेल प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रत्येक प्रतिभागी को 500/-रुपये दिए जाते हैं।

विधवा एवं बेसहारा गृह(महिला आश्रम)

विभाग द्वारा विधवा एवं बेसहारा महिलाओं को आवास, रख-रखाव तथा ट्रेनिंग हेतु दो महिला आश्रम करनाल में चलाए जा रहे हैं। जिसमें महिलाओं व उनके आश्रित को सरकार की ओर से 750/-.रुपये गुजारा भत्ता दिया जाता है तथा उनकी लड़कियों को व लड़कों को 16 साल की उम्र तक साथ रखने की आज्ञा दी जाती है।

हरियाणा उत्तर रक्षा गृह कन्या, करनाल (नारी निकेतन)

हरियाणा उत्तर रक्षा गृह कन्या, करनाल (नारी निकेतन) में चलाया जा रहा है जिसका उद्देश्य लड़कियों/महिलाओं जिनकी आय का कोई साधन न हो, को संस्थागत देखभाल, संरक्षण, सामाजिक सुरक्षा, रख-रखाव, शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करना है। संवासियों को निःशुल्क कपड़े, भोजन, आवास, शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।

महिलाओं के लिए प्रशिक्षण एवं उत्पादन केन्द्र योजना

इस योजना के अधीन स्वैच्छिक संस्थाओं/अर्ध सरकारी संस्थाओं/कल्याण एवं अनुसंधान संस्थाएं जो हरियाणा में कार्यरत हैं और महिलाओं, बच्चों व किशोरियों को सेवायें प्रदान करती है तथा सामाजिक बुराईयों जैसा कि दहेज, कन्या भ्रूण हत्या, महिलाओं की की कम साक्षरता दर  व महिलाओ के प्रति हिंसा आदि को समाप्त करने के लिए सामाजिक लामबन्दी अथवा अभियान चलाती है, को सहायक अनुदान प्रदान किया जाता है।

दहेज प्रतिषेध कार्यक्रमः-

दहेज की बुराई को समाप्त करने के लिए राज्य में दहेज प्रतिषेध अधिनियम लागू किया गया है। अधिनियम को अधिक प्रभावी रुप से लागू करने के लिए निदेशक, महिला एवं बाल विकास विभाग को मुख्य दहेज प्रतिषेध अधिकारी नामाकिंत किया गया है। राज्य के सभी उपमण्डल मजिस्ट्रों एवं नगराधीशों को दहेज प्रतिषेध अधिकारी नियुक्त किया गया है। दहेज प्रतिषेध अधिकारियों को परामर्श व सहायता देने के लिए सलाहकार बोर्ड/समितियों का गठन किया गया है।

हरियाणा राज्य महिला आयोगः-

महिलाओं को सवैंधानिक एवं कानूनी अधिकारों की रक्षा करने, उनके विरुद्ध भेदभाव तथा उत्पीड़न के मामलों में छानबीन करने के लिए रराज्य में महिला आयोग गठित है। राज्य सरकार द्वारा हरियाणा राज्य महिला आयोग अधिनियम 2012 को पास करके आयोग को वैधानिक दर्जा भी प्रदान किया गया है।

हरियाणा महिला विकास निगम

कमजोर वर्ग की महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए महिलाओं के विकास की गतिविधियों को विकसित करने, जागृति जागरण, व्यवसायिक प्रशिक्षण व स्वरोजगार स्थापित करने के लिए संस्थागत वित्त का प्रबन्ध करने हेतु हरियाणा महिला विकास निगम कार्यरत है।

महिला सैक्स वर्करस के पुर्नवास बारे योजनाः-

हरियाणा सरकार द्वारा महिला सैक्स वर्करस को विभिन्न तकनीकी तथा व्यवसायिक प्रशिक्षण प्रदान कर रोजगार के अवसर प्रदान करके उनके लिए पुर्नवास की योजना तैयार की गई है । जो महिलाएं अपना स्वरोज़गार परियोजनायें शुरु करने की इच्छुक हैं, को राष्ट्रीयकृत बैंकों द्वारा ऋण की सुविधा प्रदान करवाई जायेगी। निगम द्वारा अधिकतम 1000/-रुपये की राशि पर 5 प्रतिशत ऋण सबसिडी प्रदान की जायेगी।

बच्चों से सम्बन्धित योजनाएं

  •  समेकित बाल विकास सेवाएं योजना (आई.सी.डी.एस)
  • बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए समेकित बाल विकास सेवायें योजना जिला करनाल के 7 खण्डों करनाल (ग्रा0) 218, निसिंग 214, नीलोखेड़ी 203, घरौंडा 240, असन्ध 245, इन्द्री 215 तथा करनाल (श0) 147 कुल 1482 आंगनवाड़ी केन्द्रों जिनमें 26 मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र भी शामिल हैं, के माध्ष्म से चलाई जा रही है। इस योजना के अन्तर्गत 6 वर्ष से छोटे बच्चों, गर्भवती एवं दूध पिलाने वाली माताओं तथा 15 से 45 वर्ष की अन्य महिलाओं को पूरक पोषाहार, रोग प्रतिरक्षण, स्वास्थ्य देखरेख, संदर्भित सेवायें, अनौपचारिक पूर्व स्कूली शिक्षा तथा स्वास्थ्य एवं पोषाहार शिक्षा 15-45 वर्ष की महिलाओं को समेकित रुप से प्रदान की जा रही हैं।
  • 6 से 18 महीनों के बच्चों को रोजना पंजीरी दी जाती है। 18 महीने से 3 वर्ष के बच्चों को भरवां-पराठे, आलू पूरी, मीठा दलिया, गुलगले तथा पुलाव दिये जाते है। 3 वर्ष से 6 वर्ष के बच्चो को सुबह के नाश्ते में पंजीरी, मुरमरा, चना तथा मंुगफिली गिरी दी जाती है। टेक होम राशन मंे भरवां पराठे, आलू पूरी, मीठे चावल, मीठा दलिया, गुलगले तथा फुलाव दिये जाते हैं। गर्भवती तथा दूध पिलाने वाली माताओं को भरवा पराठें, आलू पूरी, मीठा चावल, मीठा दलिया, गुलगले तथा फुलाव आहार में दिये जाते हैं। अति कुपोषित बच्चों को पौष्टिक पंजीरी दी जाती है।
क्र. स. लाभार्थी राशन के प्रकार मूल्य (रु) में
1. छः से 18 महीने रोज पंजीरी रु 6/-
2. 18 महीने से 3 साल तक भरांवा पंराठा, आलू-पूरी, मी़ठा दलिया, गुलगुले और पुलाव रु 6/-
3. तीन साल से छः साल तक सुबह का नाश्ता- चना मुरमुरे और मुगंफली मिक्चर और पंजीरी

गर्म खाना-भरांवा पंराठा, आलू-पूरी, मीठे चावल, मी़ठा दलिया, गुलगुले और पुलाव

रु 6/-
4. गर्भवती और स्तनपाल कराने वाली महिलाएं भरांवा पंराठा, आलू-पूरी, मीठे चावल, मी़ठा दलिया, गुलगुले और पुलाव रु 7/-
5. कम वजन वाले बच्चे पौष्टिक पंजीरी

समेकित बाल संरक्षण योजना (आई.सी.पी.एस)

राज्य सरकार द्वारा समेकित बाल संरक्षण योजना चलाई जा रही है जिसके तहत जरुरतमंद बच्चों की देखरेख व कानून का उल्लंघन करने वाले किशोरों से सम्बन्धित विभिन्न योजनाओं को कवर किया जा रहा है। यह कार्यक्रम हरियाणा स्टेट प्रोटैक्शन सोसाईटी तथा स्टेट प्रोजैक्ट सपोर्ट यूनिट के माध्यम से चलाया जा रहा है। जिला स्तर पर इस योजना को लागू करने के लिए जिला उपायुक्त की अध्यक्षता में जिला बाल संरक्षण समिति का गठन किया गया है।

जरुरतमंद बच्चों की देखरेख, सुरक्षा, विकास, पुर्नवासव ईलाज के लिए जिले में 5 बाल देखरेख संस्थायें (हरियाणा राज्य बाल भवन, मधुबन, ओबज़रवेशन होम, श्रद्धानंद अनाथालय, माता करतार कौर बाल कल्याण निकेतन, एम.डी.डी बाल भवन) चलाई जा रही है। जिसमें 337 बच्चों को आश्रय दिया जा रहा है। जिला बाल संरक्षण समिति द्वारा दी जाने वाली स्कीमेंः-

फोस्टर केयरः-

फोस्टर केयर स्कीम 0-18 साल तक के निम्न प्रकार के बच्चों को दी जा सकती है जिसके:-

  • माता-पिता की मृत्यु हो चुकी है।
  • माता-पिता गम्भीर रुप से किसी बिमारी से पीड़ित हों।
  • माता-पिता दिमागी रुप से बीमार हों।
  • माता-पिता जेल में हों।

फोस्टर केयर स्कीम में प्रत्येक बच्चे को प्रतिमाह 2000ध्.रुपये उसकी पढ़ाई तथा परवरिश के लिए 3 साल तक दिए जाते हैं। यह स्कीम एक परिवार में से केवल दो बच्चों को दी जाती है।

यदि किसी बच्चे के माता-पिता की मृत्यु हो जाती है तो इस स्कीम को बच्चे के पालनकर्ता जैसे दादा-दादी, बुआ, चाचा-चाची, ताऊ-ताई, बड़े भाई-बहन इत्यादि को भी दी जा सकती है।

स्पोन्सरशिपः-

स्पोन्सरशिप स्कीम 0-18 साल तक के निम्न प्रकार के बच्चांे को दी जा सकती है जिसके:-

  • माता-पिता दोनों में से किसी एक की मृत्यु हो चुकी है।
  • माता-पिता कोढ़ या एच.आई.वी से पीड़ित हों।
  • माता-पिता जेल में हों।
  • तलाकशुदा माता

स्पोन्सरशिप स्कीम में प्रत्येक बच्चे को प्रतिमाह 2000ध्.रुपये उसकी पढ़ाई तथा परवरिश के लिए 3 साल तक दिए जाते हैं। यह स्कीम एक परिवार में से केवल दो बच्चों को दी जाती है।

नोटः- यदि बच्चा तथा बच्चे के परिवार किसी गांव में रहता है तो परिवार की वार्षिक आय 24000/-.रुपये तथा यदि बच्चा तथा बच्चे के परिवार किसी शहर में रहता है तो परिवार की वार्षिक आय 30000/-रुपये से अधिक नही होनी चाहिए। स्पोन्सरशिप स्कीम लेने के लिए बच्चे के माता या पिता का आय प्रमाण पत्र बना होना अनिवार्य है।

राज्य दत्तक संसाधन एजेंसी

जो दम्पत्ति किसी कारणवश माता-पिता बनने में असमर्थ हैं, वह दम्पत्ति राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही दत्तक एजेन्सियों शिशु गृह, सैक्टर-5, पंचकूला एवं शिशु गृह, बाल ग्राम राई, सोनिपत में अपना पंजीकरण करवा सकते हैं। पंजीकरण करवाने के बाद वी कानूनी तौर पर बच्चा गोद ले सकते हैं।

राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग

राज्य सरकार द्वारा बच्चसें के संरक्षण, कल्याण तथा विकास के लिए बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम 2005 की धारा 17(1) के अन्तर्गत राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग का गठन किया है।

सर्कस से मुक्त बच्चों के लिए पुर्नवास योजना

सरकार द्वारा बचपन बचाओ आन्दोलन के तहत सर्कसों में कार्य करने से मुक्त करवाये गये बच्चों के पुर्नवास नामक योजना तैयार की गई है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य उपेक्षा, दुराचार, चोट, तस्करी और सभी प्रकार के शारीरिक शोषण से सर्कस में काम करने वाले बच्चों की सुरक्षा तथ्ज्ञा इनका पुर्नवास किया जाना है।

आंगनवाड़ी भवन निर्माण योजना

बच्चों को स्वच्छ एवं साफ-सुथरा वातावरण प्रदान करने एवं उनके लिए गांवों में परिसम्पति सृजित करने हेतु बांगनवाड़ी भवनों के निर्माण की योजना चलाई जा रही है, राज्य सरकार द्वारा एक आंगनवाड़ी भवन की कुल अनुमोदित निर्माण लागत 9.95 लाख रु0 है। अपनाए गए मापदण्डों के अनुसार आंगनवाड़ी भवन उन गांवों में बनाये जाते हैं, जहां पर पंचायत कम से कम 200 वर्ग गज भूमि निःशुल्क उपलब्ध करवाती है।

शिशु एवं छोटे बच्चों के आहार में सुधार योजना

बच्चों में कुपोषण को समाप्त करने के लिए शिशु एवं छोटे बच्चों के आहार में सुधार योजना चलाई जा रही है, जिसके अन्तर्गत राज्य में सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को इस विषय पर प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वह माताओं एवं परिवारों को शिशुओं एवं बच्चां की आहार सम्बन्धी आवश्यकताओंबारे जानकारी देकर शिक्षित कर सकें।

आपकी बेटी हमारी बेटी

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पुरस्कारों से सम्बन्धित योजनाएं

महिलाओं को राज्य स्तरीय पुरस्कार

राज्य सरकार द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धियां प्राप्त करने वाली महिलाओं को प्रति वर्ष 1.00 लाख रु0 की राशि का इन्दिरा गांधी महिला शक्ति अवार्ड, 51000/-.रु0 की राशि का कल्पना चावला शौर्य अवार्ड, 51000/-.रु0 की राशि का बहिन शन्नो देवी पंचायती राज अवार्ड तथा 21000/-.रु0 की राशि कालाईफ टाईम अचीवमैंट अवार्ड प्रदान किया जाता है। अर्वाउस प्रदान करने हेतु प्रत्येक वर्ष अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित कर प्रार्थना पत्र आंमत्रित किये जाते हैं।

ग्रामीण किशोर बालिकाओं को पुरस्कार

इस योजना के अन्तर्गत प्रत्येक खण्ड से ग्रामीण स्कूलों की तीन-तीन बालिकाओं जिन्होंने हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की मैट्रिक परीक्षा में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त किया हो उन्हें कवर करते हुए क्रमशः 2000/-रू0, 1500/-रू0 व 1000/-.रू0 तथा 10$2 में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाली बालिकाओं को क्रमशः 3000/-.रू0, 2500/-.रू0 व 2000/-.रू0 की राशि के नकद पुरस्कार दिए जाते हैं।

पोषण स्तर में सुधार के लिये जिला स्तर पर न्युट्रिशन अवार्ड

हरियाणा में बच्चों में कुपोषण को घटाने के लिए जिला स्तर पर न्युट्रिशन अवार्ड दिए जाते हैं, जिसके अन्तर्गत प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले जिलों को 2.00लाख रु0, 1.00लाख रु0 तथा 50000/-.रुपये की राशि प्रदान की जाती है।

सर्वोत्तम माता पुरस्कार

बच्चों विशेषकर लडकियो के भली भांति पालन-पोषण के प्रति माताओं को प्रोत्साहित करने के लिये सर्वोतम माता पुरस्कार की योजना शुरू की गई है। इस योजना के अन्तर्गत आई.सी.डी.एस. के प्रत्येक सर्कल में 3 माताओ को 500/-.रूपये, 300/-.रूपये व 200/-.रूपये के पुरस्कार दिये जायेगें तथा प्रत्येक खण्ड मे 3 माताओ को क्रमशः 1000/-.रूपये, 750/-.रूपये, और 500/-.रूपये के पुरस्कार दिये जाते हैं। पुरस्कार के लिये उन्ही माताओं को चुना जाता है जिनकी कम से कम एक लडकी है।

एकीकृत बाल विकास सेवा योजना (आईसीडीएस)

परिचय

बच्चे एक राष्ट्र का भविष्य हैं 2011 की जनगणना के अनुसार, हरियाणा में करीब 3380721 बच्चे हैं, जो हरियाणा की आबादी का 13.34% है, जो 6 वर्ष से कम उम्र के हैं। करनाल में करीब 1 96610 के बच्चे हैं, जो 6 वर्ष से कम उम्र के हैं या हरियाणा के 6 वर्ष से कम उम्र के 5.81% बच्चे हैं। उनमें से एक बड़ी संख्या आर्थिक और सामाजिक वातावरण में रहती है जो बच्चे की शारीरिक और मानसिक विकास को बाधित करती है। इन शर्तों में गरीबी, खराब पर्यावरण स्वच्छता, बीमारी, संक्रमण, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए अपर्याप्त पहुंच, अनुचित बच्चे की देखभाल और खिला प्रथाएं शामिल हैं।

एकीकृत बाल विकास सेवा योजना (आईसीडीएस) आईसीडीएस बेहतर बाल देखभाल, प्रारंभिक उत्तेजना और सीखने, बेहतर नामांकन और प्रतिधारण, स्वास्थ्य और पोषण और जल और पर्यावरण स्वच्छता के लिए बुनियादी सेवाओं को एकीकरण के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण के माध्यम से बाल अस्तित्व और विकास को बढ़ावा देता है। इस योजना का उद्देश्य पूर्व-विद्यालय, गर्भवती महिलाओं और नर्सिंग माताओं सहित कमजोर समूहों के पोषण और स्वास्थ्य स्थिति में सुधार करना है।

आईसीडीएस सेवाएं

 

स्वास्थ्य पोषण बचपन की देखभाल और पूर्व-विद्यालय की शिक्षा समाभिरुपता
    • टीकाकरण
    • स्वास्थ्य जांच
    • रेफरल सेवाएं
    • मामूली बीमारियों का  उपचार
पूरक पोषणए- गर्भवती महिला और नर्सिंग माताओंबी-0-6 साल के आयु वर्ग के  बच्चे,पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा 3 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए शुरुआती देखभाल और प्रोत्साहन,3 से 6 साल के आयु वर्ग के बच्चों के लिए प्रारंभिक खुशहाल सीखने के अवसर अन्य सहायक सेवाएं, जैसे कि सुरक्षित पेयजल, पर्यावरण स्वच्छता, महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम, गैर-औपचारिक शिक्षा।

स्वास्थ्य

i) टीकाकरण:

– गर्भवती महिलाओं और शिशुओं के टीकाकरण बच्चों को छह टीका रोकथाम रोगों- पोलियोयोमाइलाइटिस, डिप्थीरिया, कनपेड, टेटनस, टीबी और खसरा से बचाता है। ये बाल मृत्यु दर, विकलांगता, विकार और संबंधित कुपोषण के प्रमुख निवारक कारण हैं। टेटनस के खिलाफ गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण से मातृ मृत्यु दर भी कम हो जाती है।

टीकाकरण का दिन-बुधवार

क्रमांक टीकाकरण आयु खुराक की सख्या रोग के खिलाफ रोकथाम
1. बी.सी.जी 0-6 सप्ताह 1 क्षय रोग
2. डी.पी.टी 06 सप्ताह

10 सप्ताह

14 सप्ताह

3 डिपथीरया, कालीखासी, टेटनस
3. ओ.पी.वी 06 सप्ताह

10 सप्ताह

14 सप्ताह

3 पोलियो
4. खसरा 09-12 महीने 1 खसरा
5. डी.पी.टी बूस्टर 16-18 महीने 1 डिपथीरया, कालीखासी, टेटनस
6. ओ.पी.वी बूस्टर 16-18 महीने 1 पोलियो
7. डी.टी बूस्टर 5-6 साल 1 डीपथीरया, टेटनस
8. टी.टी. गर्भवती माता 2 टेटनस

स्वास्थ्य जांच:

बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य श्रमिक (महिला) और लेडी हेल्थ विज़िटर्स, हेल्थ सुपरवाइजर (महिला) आंगनवाड़ी केंद्रों की नियमित यात्राओं का भुगतान करते हैं, जहां मां की उम्मीद की देखभाल, नर्सिंग माताओं की जन्मपूर्व देखभाल और स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं 6 साल की उम्र तक के बच्चों में भाग लिया।
क्षेत्र के चिकित्सा अधिकारी समय-समय पर बच्चों और मां की स्वास्थ्य जांच भी करते हैं।

रेफरल सेवाएं:

– स्वास्थ्य जांच और विकास की निगरानी के दौरान, बीमार या कुपोषित बच्चों को शीघ्र चिकित्सा सहायता की आवश्यकता आईसीडीएस के माध्यम से रेफरल सेवाएं प्रदान की जाती है।

iv)लघु बीमारियों का उपचार: –

बहुउद्देशीय स्वास्थ्य श्रमिक (महिला) / स्वास्थ्य पर्यवेक्षकों (महिला) ने छोटी बीमारियों का निदान किया है और आंगनवाड़ी केंद्रों में साधारण दवाएं वितरित की हैं। प्रत्येक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता में सामान्य दवाओं जैसे कि बुखार, सर्दी, खांसी, दस्त, कीड़े, त्वचा और आंखों के संक्रमण के लिए बुनियादी दवाओं के साथ एक छोटी दवा किट होती है, जब वह आवश्यक हो और जब आवश्यक हो।

पोषण

इसमें पूरक पोषण, विकास की निगरानी और प्रोत्साहन, पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा और विषाणु-ए की कमी और पोषण संबंधी एनीमिया के नियंत्रण के खिलाफ प्रोफीलैक्सिस शामिल हैं।

पूरक पूरक पोषण-

यह योजना 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों गर्भवती महिलाओं और नर्सिंग माताओं की गरीब जनसंख्या वाले बच्चों सहित पिछड़े ग्रामीण इलाकों, आदिवासी क्षेत्रों और शहरी झुग्गी बस्तियों सहित रहने वाले सबसे कमजोर समूहों का लक्ष्य रखती है।

ग्रहण करने वाला कैलोरीस प्रोटीन(ग्राम) दर प्रति लाभार्थी प्रति दर
6 महीने से 6 साल तक बच्चे 300 10-12 6.00 रु
गर्भवती और नर्सिग मातांए 500 18-20 7.00 रु
गभीर रुप से कुपोषित बच्चे 800 20-25 9.00 रु

अतिरिक्त पोषण साल के रविवार और 14 राजपत्रित अवकाश को छोडकर 300 दिन दिये जाते है।

गर्भवती महिला और नर्सिंग माताओं:-

गर्भवती महिलाओं और नर्सिंग माताओं पूरक पोषण के लिए पात्र हैं। गर्भवती महिलाओं के मामले में, प्रसव की तारीख तक गर्भावस्था की खोज की जाने वाली दिन से पूरक पोषण स्वीकार्य है। नर्सिंग मां, स्थान के पिछले छः महीनों में पूरक पोषण के लिए पात्र हैं। हालांकि, सभी गर्भवती महिलाओं और नर्सिंग माताओं इस सुविधा के लिए योग्य नहीं हैं। निम्नलिखित श्रेणियों से संबंधित महिलाएं इस सेवा के लिए पात्र हैं:
• भूमिहीन कृषि मजदूरों और सीमांत किसानों के लिए परिवारों से संबंधित (जो कि एक हेक्टेयर भूमि से अधिक नहीं है।
• अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजाति से संबंधित हैं।
• उन परिवारों से संबंधित हैं जिन्हें आईआरडीपी के तहत लक्षित किया गया है।
• उन परिवारों से संबंधित जो पूरी तरह से मासिक आय वाले 500 रुपये प्रति माह से अधिक नहीं हैं।
• गर्भवती महिलाएं या नर्सिंग मां, जो एएनएम या मेडिकल जमीन पर मेडिकल अधिकारी द्वारा भर्ती करायी जाती है।

बी 0-6 वर्षों के आयु समूहों में बच्चे: –

• जिनके वजन वजन वृद्धि चार्ट पर दूसरे वक्र से नीचे गिरते हैं
• यदि ऐसा वजन घटता चार्ट पर तीसरे वक्र से नीचे गिरता है तो बच्चे को गंभीर रूप से खराब पोषण के रूप में पहचाना जाता है और अनुपूरक पोषण के लिए दोहरी राशन के लिए योग्य है।
• जिन बच्चों का वजन विकास चार्ट पर चौथा वक्र के नीचे होता है उन्हें पौष्टिक चिकित्सा और पुनर्वास पूरक पोषण के लिए तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया जाना चाहिए।
• यहां तक ​​कि उन बच्चों को, जिनके वजन चौथे वक्र से ऊपर पड़ते हैं, अस्पताल में भर्ती हो सकते हैं, अगर चिकित्सा अधिकारियों द्वारा सलाह दी जाती है। अस्पताल से छुट्टी के बाद ऐसे बच्चों को पूरक पोषण पर भी गिना जाता है।
• गैर-औपचारिक पूर्व-विद्यालय शिक्षा के लिए आंगनवाड़ी में भाग लेने वाले सभी बच्चे (आमतौर पर 3-6 साल की आयु वर्ग में पूरक पोषण दिया जाना चाहिए
• परिवारों से संबंधित बच्चे पहचानते हैं, क्योंकि आईआरडीपी के तहत आईआरडी लक्ष्य परिवारों को पूरक पोषण के लिए भर्ती किया जाना चाहिए। पोषण संबंधी सेवाएं प्रदान करने के लिए विशेष प्रयास किए जाने चाहिए:
आंगनवाड़ी में पूरक पोषण के वितरण के समय, कुछ ऐसे बच्चे हो सकते हैं जो गैर-औपचारिक पूर्व-विद्यालय शिक्षा में उनके पोषण संबंधी स्थिति या गैर-भागीदारी के कारण अनुपूरक पोषण के लिए  पहचाने नहीं गए हैं। शारीरिक रूप से मौजूद होने पर उन्हें खिलाने से इनकार करना मुश्किल है और  इसलिए उन्हें पूरक पोषण प्रयासों को भी प्रदान किया जाना चाहिए, हालांकि इन बच्चों के लिए पूरक पोषण के बारे में समुदाय को पर्याप्त बनाया जाना चाहिए, जैसा कि ऊपर दिए गए मानदंडों के अनुसार पहचाने जाते है।

इन बच्चों के लिए अतिरिक्त पोषण केवल उपरोक्त मानदंडों के अनुसार पहचाने जाते हैं।

पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा- पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा 15-45 साल के आयु वर्ग में महिलाओं के क्षमता निर्माण का एक प्रमुख तत्व है, ताकि वे अपने स्वास्थ्य, पोषण और विकास की जरूरतों के साथ-साथ उनकी देखभाल भी कर सकें। उनके बच्चे और परिवार एनएचईडी में बुनियादी स्वास्थ्य, पोषण और विकास, बाल देखभाल और विकास शिशु आहार प्रक्रियाओं, स्वास्थ्य सेवाओं के उपयोग, परिवार नियोजन और पर्यावरणीय स्वच्छता से संबंधित जानकारी शामिल है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता प्रतिरक्षण, माताओं की बैठक, विकास निगरानी दिवस, घर का दौरा, स्थानीय त्यौहार / सम्मेलन, राष्ट्रीय पोषण सप्ताह और स्तनपान सप्ताह, स्वास्थ्य और विकास शिक्षा जैसे दिन / सप्ताह के तय दिनों का उपयोग करते हैं।

बचपन की देखभाल और गैर-औपचारिक पूर्व-विद्यालय शिक्षा:-बचपन के प्री-स्कूल कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों के सामाजिक, भावनात्मक, संज्ञानात्मक, शारीरिक और सौन्दर्य विकास को बढ़ावा देने के लिए एक सीखने के माहौल प्रदान करना है। औपचारिक / प्राथमिक स्कूली शिक्षा के लिए उन्हें तैयार करने के लिए गैर-औपचारिक पूर्व-विद्यालय शिक्षा 3-6 साल के बच्चों को खेलने के तरीकों में प्रदान की जाती है।आईसीडीएस सेवाओं की डिलीवरी के लिए फोकल प्वाइंट- आंगनवाड़ी- यह कार्यक्रम सामुदायिक आँगनवाड़ी मजदूरों और सहायकों, सहायक समुदाय संरचनाओं / महिलाओं के समूह के माध्यम से आंगनवाडी केंद्र, स्वास्थ्य व्यवस्था और समुदाय में बुनियादी सेवाओं को एकीकरण करने के लिए एकीकृत दृष्टिकोण प्रदान करता है। इसके अलावा, एडब्लू एक बैठक का मैदान है जहां महिलाओं और माता के समूह अन्य प्रमुख कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर बच्चे के विकास और महिला सशक्तिकरण के लिए जागरूकता और संयुक्त कार्रवाई को बढ़ावा देने के लिए मिल सकते हैं।योजना की प्रगति की निगरानी के लिए, विभाग ने एडब्ल्यूसी या जनसंख्या के अनुसार लक्ष्य निर्धारित किया है। 400-800 की आबादी में 1 एडब्ल्यूसी है और 150-400 प्रति ग्रामीण इलाकों में 1 मिनी एडब्ल्यूसी को मंजूरी दी गई है। करनाल जिले में स्वीकृत आंगनवाड़ी केंद्रों की कुल संख्या 1479 है जिसमें 25 मिनी एडब्ल्यूसी शामिल हैं। स्वीकृत आंगनवाड़ी केंद्रों और मिनी आंगनवाड़ी केंद्रों का विवरण निम्नानुसार है:

क्रमांक जिले का नाम आई.सी.डी.एस परिजोयनाओ के नाम परियोजना की प्रकृति
ग्रमीण/शहरी
कुल ए.डब्लयू.सी कुल मिनी ए.डब्लयू सी
1 करनाल करनाल ग्रामीण ग्रामीण 212 0
2 करनाल शहरी शहरी 153 0
3 निसिंग ग्रामीण 214 6
4 निलोखेडी ग्रामीण 203 3
5 घरौण्डा ग्रामीण 237 0
6 अंसध ग्रामीण 245 7
7 इन्द्री ग्रामीण 215 9

सर्वश्रेष्ठ माँ पुरस्कार:अपने बच्चों के विशेष रूप से पालन-

पोषण के लिए माताओं को प्रोत्साहित करने के लिए, खासकर गर्भवती बच्चे और अपने पोषण संबंधी स्थिति में सुधार के साथ-साथ अपने बच्चों के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, बौद्धिक और मनोवैज्ञानिक विकास को इष्टतम स्तर तक लाने के लिए प्रस्तावित है ऐसी माताओं को मान्यता देने के लिए जो पहले से ही ऐसा कर रहे हैंसर्वश्रेष्ठ माताओं जो पात्रता मानदंडों को पूरा करते हैं सर्कल और ब्लॉक स्तरों पर आयोजित साक्षात्कार के आधार पर चुना जाएगा। प्रत्येक सर्कल और ब्लॉक के लिए, कम से कम एक लड़की की 3 सबसे अच्छी माताओं को 1, 2 और 3 पुरस्कारों के लिए चुना जाएगा, जिन्हें कि रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा। 2000 / -, रु। 1200 / – और रु। 800 / – क्रमशः ब्लॉक स्तर पर और रु .4000 / -, रु। 3000 / – और रु    2000 / – क्रमशः सर्कल स्तर पर। प्रत्येक मंडल और ब्लॉक स्तर पर सर्वश्रेष्ठ माँ पुरस्कार समारोह का आयोजन किया जाएगा।

महिलाओं के लिए खेल बैठक

खेल न केवल व्यक्ति के शारीरिक और भावनात्मक विकास में मदद करता है बल्कि खोलने और आराम करने के अवसर प्रदान करता है। इसलिए, ब्लॉक एंड डिस्टटी में आयोजित वार्षिक स्पोर्ट्स मिलो हर साल जनवरी / फरवरी के महीने के दौरान स्तर।इस योजना का उद्देश्य दो गुना है: सबसे पहले महिलाओं को बड़ी संख्या में एकत्रित करने के लिए और दूसरा, खेल-कूद से संबंधित महिलाओं और बच्चों से संबंधित मुद्दों पर जागरूकता पैदा करने के लिए।      • बैठक के लिए प्रस्तावित: -आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सभी इच्छुक प्रतिभागियों की सूची तैयार करेगा और पर्यवेक्षकों को सौंप देगा। पर्यवेक्षक 31 सितंबर तक संकलित सूची आयोजन / दौड़ से सीडीपीओ के लिए सकारात्मक रूप से प्रस्तुत करेंगे। प्रत्येक घटना के लिए रुपये का पुरस्कार 2100 / – रु। 1100 / – और रु। 750 / – ब्लॉक स्तर पर प्रथम, द्वितीय और तृतीय व्यक्ति को दिया जाएगा और रु। 4100 / – रु। 3100 / – और रु। 2100 / – जिला स्तर पर क्रमशः प्रथम, द्वितीय और तृतीय व्यक्ति को दिया जाएगा।एपीकी बेती हैम्री बेटी: -आपकी बेटी हमरी बेटी योजना राज्य के दोनों ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लागू की जाएगी, जिसमें अनुसूचित जाति और गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) से संबंधित परिवारों में पैदा होने वाली पहली लड़की की बच्ची और 2/2 / जुड़वां / कई लड़कियां पैदा होंगी। हरियाणा राज्य में किसी भी परिवार में 22 जनवरी, 2015 के बाद पात्रता मानदंडों को संतोषजनक। लाडीली स्कीम को दोबारा एपीकी बेटी हमरी बेटी स्कीम और 22 जनवरी, 2015 को या उसके बाद होने वाली 2 / ट्विन / कई लड़कियों में योजना के पात्रता मानदंडों को संतोषजनक हरियाणा राज्य में किसी भी परिवार में विलय किया गया, पूर्व के नियमों के अनुसार लाडली योजना लाभ का भुगतान किया जाएगा।प्रधान मंत्री मात्रु वन्दना योजना।पीएमएमवीवाई के तहत, रुपये का नकद प्रोत्साहन मातृ एवं बाल स्वास्थ्य से संबंधित विशिष्ट शर्तों को पूरा करने के लिए, परिवार के पहले जीवित बच्चे के लिए गर्भवती महिला और स्तनपान कराने वाली माताओं (पीडब्लू और एलएम) के खाते में 5000 रुपये दिये जाते है।5000/- रुपये का लाभ निम्नलिखित चरणों में तीन किस्तों में दिए गए हैं,जैसा कि नीचे दी गई तालिका में उल्लिखित है:

किस्त शर्ते राशि
पहली किस्त गर्भावस्था के प्रारंभिक पंजीकरण 2,000/-
दूसरी किस्त कम से कम एक एएनसी प्राप्त (गर्भावस्था के 6 महीने के बाद दावा किया जा सकता है) 2,000/-
तीसरी किस्त 1.  बाल जन्म पंजीकरण2.  बच्चे को बीसीजी, ओपीवी, डीपीटी और हेपेटाइटिस-बी या उसके समकक्ष / विकल्प प्राप्त हुए है। 2,000/-